Tuesday, February 7, 2012

मजाज होना इत्तेफाक नहीं

मजाज महज एक शायर का नाम नहीं , हमारे और आपकी जिंदगी की दीवानगी का दूसरा नाम हैं मजाज. बेवफाई ने उन्हें " मजाज" बना दिया. हम से कई लोग हैं, जिनका दिल टूटता है, और वो पूरे टूट जाते हैं. पर जो टूटने के दर्द का जश्न मनाये, स्याह रातों के साथ..वो मजाज बन जाता है...आप भी इन्हें पीजिए..मैं भी पी रहा हूँ..
आज अचानक उर्दू के महान शायर मजाज मेरे जेहन में उतर आए. जो कभी राँची के पागल खाने में भरती थे. दोस्तों, क्या आप ऐसे शायर को पागल देखना पसंद करेंगे. पर ज़माना बना देता है..और अफ़सोस .. उसी ज़माने में हम और आप रहते हैं...पेश -ए-खिदमत है:
"मेरे दिल में तू ही तू है दिल की दवा क्या करूं
दिल भी तू है जां भी तू है तुझपे फ़िदा क्या करूं
ख़ुद को खोकर तुझको पा कर क्या क्या मिला क्या कहूं
तेरा होके जीने में क्य...ा क्या आया मज़ा क्या कहूं
कैसे दिन हैं कैसी रातें कैसी फ़िज़ा क्या कहूं
मेरी होके तूने मुझको क्या क्या दिया क्या कहूं
मेरे पहलू में जब तू है फिर मैं दुआ क्या करूं
दिल भी तू है जां भी तू है तुझपे फ़िदा क्या करूं
है ये दुनिया दिल की दुनिया मिलके रहेंगे यहां
लूटेंगे हम ख़ुशियां हर पल दुख न सहेंगे यहां
अरमानों के चंचल धारे ऐसे बहेंगे यहां
ये तो सपनों की जन्नत है सब ही कहेंगे यहां
ये दुनिया मेरे दिल में बसी है दिल से जुदा क्या करूं
दिल भी तू है जां भी तू है तुझपे फ़िदा क्या करूं

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