Tuesday, June 26, 2012

जिंदगी रोज एक  नए शक्ल में हमें दस्तक देती है. विस्मित करती है. हम खुद नहीं जानते, कब कहाँ क्या होगा.
फिर भी हम इस ठीक तरीके से जीने का सबब याद नहीं रख पाते.भूल जाते हैं. बार बार भूलना बचपना है. बच्चा होना ठीक है. बचपना नहीं.